श्री गणेश आरती : सुखकर्ता दुखहर्ता
श्री गणेश आरती भगवान गणेश का आह्वान करती है। श्री गणेश हिन्दू धर्म में प्रथम पूजनीय भगवान हैं। इन्हें आरंभ के देवता के रूप में पूजा जाता है। कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेश की पूजा के बाद ही की जाती है। श्री गणेश के स्मरण मात्र से सभी कार्य निविघ्गन पूरे हो जाते है। समस्याओं के निवारण के प्रतीक के रूप में भी इनकी पूजा होती है। श्री गणेश आरती का पाठ भगवान गणेश का आह्वान करके व्यक्ति के कल्याण के बीच आने वाली हर बाधा को दूर करता है और धन, बुद्धि, सौभाग्य, समृद्धि और सभी प्रयासों में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
आरती
सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नांची|
नुरवी; पुरवी प्रेम, कृपा जयाची |
सर्वांगी सुंदर, उटी शेंदुराची|
कंठी झळके माळ, मुक्ताफळांची॥१॥
जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ती|
दर्शनमात्रे मन कामना पुरती ॥धृ॥
रत्नखचित फरा, तुज गौरीकुमरा|
चंदनाची उटी , कुमकुम केशरा|
हिरेजडित मुकुट, शोभतो बरा |
रुणझुणती नूपुरे, चरणी घागरिया|
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती ॥२॥
लंबोदर पीतांबर, फणिवरबंधना |
सरळ सोंड, वक्रतुंड त्रिनयना|
दास रामाचा, वाट पाहे सदना|
संकटी पावावे, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना|
जय देव जय देव, जय मंगलमूर्ती|
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥३॥